साल 2019 ::: यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग और महानिदेशक स्कूल का गठन रहा अहम , अनुपमा को हटा सतीश चन्द्र द्विवेदी को सौंपी गयी बेसिक शिक्षा की कमान , क्लिक करे और पढ़े पूरी पोस्ट
सूबे में शिक्षा के लिहाज से कुछ फैसले बेहद अहम रहे। बेसिक शिक्षा को सतीश चन्द्र द्विवेदी के रूप में नया मंत्री मिला तो सभी निदेशकों के ऊपर महानिदेशक स्कूल शिक्षा का एक नया पद सृजित हुआ। इतना ही नहीं सूबे के एडेड डिग्री कालेजों से लेकर बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों तक में शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मियों की भर्ती के लिए योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया। यह भले ही पूरी तरह से 2020 में वजूद में आ सकेगा, लेकिन सूबे के लिए यह बेहद अहम उपलब्धि मानी जा रही है। प्रदेश की योगी सरकार का बेसिक शिक्षा पर बड़ा फोकस रहा है। अभी तक एडेड डिग्री कालेजों व माध्यमिक स्कूलों के लिए अलग-अलग चयन आयोग है। वर्ष 2019 बिदा होते-होते योगी सरकार ने पहले कैबिनेट से और फिर विधानमण्डल के दोनों सदनों से यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग के विधेयक को पारित करा लिया और भर्ती के लिए अलग से कानून बन गया। अब इस आयोग पर ही सूबे के प्राइमरी से डिग्री तक के शिक्षकों की भर्ती का दारोमदार रहेगा। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा की मॉनीटरिंग के लिहाज से भी सरकार ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा बनाया। यूपी के सबसे बड़े सांस्कृतिक व अध्यात्मिक आयोजन को कुम्भ 2019 को कामयाब बनाने में अपनी जिम्मेदारी पूरी करने वाले आईएएस विजय किरन आनंद को पहला महानिदेशक बनाया है। वर्ष 2019 में बेसिक शिक्षा में एक और बड़ा बदलाव राजनीतिक तौर पर हुआ। योगी सरकार में तकरीबन ढाई वर्ष तक मंत्री अनुपमा जायसवाल को हटाकर इस महकमे की जिम्मेदारी सतीश चन्द्र द्विवेदी को सौंपी गयी। माध्यमिक व उच्च शिक्षा में जहां उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा व्यापक बदलाव की बुनियाद तैयार कर आगे बढ़ रहे हैं तो बेसिक शिक्षा भी कुछ अहम बदलावों के साथ कदम ताल करता दिखा। उपलब्धियों के साथ लविवि में पेपर लीक कांड व एसटीएफ से जांच तो स्कूलों में मिड डे मील के नाम पर छात्रों के साथ कहीं नमक रोटी, कहीं दूध में मिलावट तो कहीं मिड डे मील में गुणवत्ता की अनदेखी भी सुर्खियों में रही।
सूबे में शिक्षा के लिहाज से कुछ फैसले बेहद अहम रहे। बेसिक शिक्षा को सतीश चन्द्र द्विवेदी के रूप में नया मंत्री मिला तो सभी निदेशकों के ऊपर महानिदेशक स्कूल शिक्षा का एक नया पद सृजित हुआ। इतना ही नहीं सूबे के एडेड डिग्री कालेजों से लेकर बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों तक में शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मियों की भर्ती के लिए योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया। यह भले ही पूरी तरह से 2020 में वजूद में आ सकेगा, लेकिन सूबे के लिए यह बेहद अहम उपलब्धि मानी जा रही है। प्रदेश की योगी सरकार का बेसिक शिक्षा पर बड़ा फोकस रहा है। अभी तक एडेड डिग्री कालेजों व माध्यमिक स्कूलों के लिए अलग-अलग चयन आयोग है। वर्ष 2019 बिदा होते-होते योगी सरकार ने पहले कैबिनेट से और फिर विधानमण्डल के दोनों सदनों से यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग के विधेयक को पारित करा लिया और भर्ती के लिए अलग से कानून बन गया। अब इस आयोग पर ही सूबे के प्राइमरी से डिग्री तक के शिक्षकों की भर्ती का दारोमदार रहेगा। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा की मॉनीटरिंग के लिहाज से भी सरकार ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा बनाया। यूपी के सबसे बड़े सांस्कृतिक व अध्यात्मिक आयोजन को कुम्भ 2019 को कामयाब बनाने में अपनी जिम्मेदारी पूरी करने वाले आईएएस विजय किरन आनंद को पहला महानिदेशक बनाया है। वर्ष 2019 में बेसिक शिक्षा में एक और बड़ा बदलाव राजनीतिक तौर पर हुआ। योगी सरकार में तकरीबन ढाई वर्ष तक मंत्री अनुपमा जायसवाल को हटाकर इस महकमे की जिम्मेदारी सतीश चन्द्र द्विवेदी को सौंपी गयी। माध्यमिक व उच्च शिक्षा में जहां उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा व्यापक बदलाव की बुनियाद तैयार कर आगे बढ़ रहे हैं तो बेसिक शिक्षा भी कुछ अहम बदलावों के साथ कदम ताल करता दिखा। उपलब्धियों के साथ लविवि में पेपर लीक कांड व एसटीएफ से जांच तो स्कूलों में मिड डे मील के नाम पर छात्रों के साथ कहीं नमक रोटी, कहीं दूध में मिलावट तो कहीं मिड डे मील में गुणवत्ता की अनदेखी भी सुर्खियों में रही।