यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 मामला : हाईकोर्ट दे सकता है दोबारा मेडिकल जांच का आदेश , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 मामला :  हाईकोर्ट दे सकता है दोबारा मेडिकल जांच का आदेश  , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि पुलिस भर्ती नियमावली से स्पष्ट है कि शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट से असंतुष्ट अभ्यर्थी यदि उसी दिन आपत्ति करता है तो बोर्ड अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में डॉक्टरों के पैनल से दोबारा टेस्ट कराएगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कोर्ट मेडिकल बोर्ड से जांच कराने का आदेश दे सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी ने जितेन्द्र कुमार सिंह व सात अन्य की याचिका पर अधिवक्ता आदर्श सिंह व अजीत कुमार सिंह को सुनकर दिया है।

कोर्ट ने इसी के साथ दोबारा जांच का निर्देश देने के हाईकोर्ट के अधिकार पर सरकार की आपत्ति को खारिज कर दिया। इसके अलावा सीएमओ गोरखपुर की शारीरिक मानक सत्यापन जांच रिपोर्ट के आधार पर याचियों को चयन के अगले स्टेज में शामिल करने और मेरिट में आने पर चयनित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस भर्ती बोर्ड शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट पर आपत्ति के बाद दोबारा टेस्ट कराने में विफल रहता है तो हाईकोर्ट इसका आदेश देने का अधिकार है।  कोर्ट ने आठ याचियों में से एक याची के दोबारा जांच के लिए नहीं आने पर उसकी याचिका खारिज कर दी तथा शेष सात को अगले स्टेज में शामिल करने का निर्देश दिया है। 

मामले के तथ्यों के अनुसार याचि कांस्टेबल भर्ती 2018 में लिखित परीक्षा में सफल हुए। उसके बाद शारीरिक मानक सत्यापन परीक्षा  हुई, जिसमें लंबाई कम होने के कारण उन्हें अनफिट कर दिया गया।उन्होंने टेस्ट पर आपत्ति करते हुए दोबारा जांच की मांग की लेकिन भर्ती बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं लिया। इस पर याचिका दाखिल की गई। कोर्ट के आदेश पर सीएमओ, एक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की की टीम ने अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में जांच की। सीएमओ की रिपोर्ट में कहा गया कि सात याचियों की लंबाई 168 सेमी या अधिक है। एक याची दोबारा जांच के लिए नहीं आया। इस रिपोर्ट को बोर्ड ने कही चुनौती नहीं दी। 

सरकार की तरफ से कहा गया कि बोर्ड द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड को जांच का अधिकार है। उसकी राय अंतिम है। हाईकोर्ट को दोबारा जांच का आदेश देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और याचियों को चयन प्रक्रिया के अगले स्टेज की शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल करने का आदेश  दिया है। कोर्ट ने यह प्रक्रिया छह सप्ताह में पूरी करने का निर्देश भी दिया है।





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