69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा ::: 142 प्रश्नों पर 20 हजार से अधिक आई आपत्ति ,जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के सिर्फ चार प्रश्नों पर विवाद नहीं , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा ::: 142 प्रश्नों पर 20 हजार से अधिक आई आपत्ति ,जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के सिर्फ चार प्रश्नों पर विवाद नहीं , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 





परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए 6 जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के सिर्फ चार प्रश्नों पर विवाद नहीं है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने परीक्षा के बाद 8 जनवरी 2019 को अंतरिम उत्तरकुंजी जारी कर आपत्तियां मांगी थी। कुल 150 में से 142 प्रश्नों पर 20 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने साक्ष्यों के साथ ई-मेल से आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि कटऑफ को लेकर विवाद के कारण संशोधित उत्तरकुंजी जारी नहीं हो सकी।

छह मई को कटऑफ मामले का निपटारा होने के बाद 9 मई को संशोधित उत्तरमाला जारी हुई। जिसमें हिन्दी के तीन प्रश्नों को पाठ्यक्रम से बाहर का मानते हुए सभी अभ्यर्थियों को तीन-तीन अंक समान रूप से देकर 12 मई को परिणाम घोषित कर दिया गया। रिजल्ट से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने चार प्रश्नों के उत्तर के खिलाफ याचिका दायर कर दी जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने अंतरिम उत्तरकुंजी पर अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल सभी आपत्तियों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति से राय लेने का आदेश दिया है।

इससे साफ है कि सिर्फ विवादित चार प्रश्न पर ही नहीं बल्कि सभी 142 प्रश्नों पर मिली 20 हजार से अधिक आपत्तियां जांच के लिए भेजी जाएंगी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से 12 जून तक प्रश्नपत्र, अंतरिम उत्तरकुंजी और आपत्तियां यूजीसी के सचिव को भेजी जाएगी। इसके एक हफ्ते में विशेषज्ञ समिति का गठन होगा जो अगले दो सप्ताह में सभी आपत्तियों का निस्तारण करेगी।



तीन स्तर पर प्रश्नपत्र निर्माण और जांच, फिर भी गलतियां प्रयागराज।

लाखों बेरोजगारों के कॅरियर से जुड़े मसले में इतने बड़े पैमाने पर लापरवाही समझ से परे है। सूत्रों के अनुसार टीईटी या शिक्षक भर्ती का प्रश्नपत्र तैयार करने के लिए विषय विशेषज्ञों की एक कमेटी बनती है। उसके बाद मॉडरेशन के लिए दूसरी टीम गठित होती है जो यह देखती है कि कोई प्रश्न गलत तो नहीं या विकल्प में तो कोई त्रुटि तो नहीं है। परीक्षा होने के बाद अंतरिम उत्तरकुंजी पर जो आपत्तियां ली जाती हैं उसके निस्तारण के लिए विषय विशेषज्ञों की एक अलग कमेटी बनती है जिसमें पूर्व की दोनों कमेटियों में से कोई एक्सपर्ट शामिल नहीं किया जाता है। आश्चर्य की बात है कि तीन स्तर पर अलग-अलग कमेटियों से जांच के बावजूद प्रश्न गलत हो रहे हैं। यदि सबकुछ ऐसा ही चला तो परीक्षाओं पर तो उंगली उठेगी ही अभ्यर्थियों के कॅरियर पर भी ग्रहण लगता रहेगा।


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