69000 शिक्षक भर्ती ;::: गलतियां नजरंदाज कर चयनित हुए 4,688 गुरुजी , प्रतियोगी परीक्षा में सवाल और जवाब का मानक बदलने से बड़ा बदलाव , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

69000 शिक्षक भर्ती ;::: गलतियां नजरंदाज कर चयनित हुए 4,688 गुरुजी ,  प्रतियोगी परीक्षा में सवाल और जवाब का मानक बदलने से बड़ा बदलाव  , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 





69,000 शिक्षक भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयनित होने की कहानी खासी दिलचस्प है। उनमें से एक नाम है शिक्षामित्र कृष्ण कुमार पांडेय। उन्होंने आवेदन में प्रशिक्षण योग्यता विशिष्ट दर्ज कर दी, लिहाजा परीक्षा संस्था ने पहले उनका आवेदन ही निरस्त कर दिया। लिखित परीक्षा से पहले शासन ने आदेश दिया कि जिन शिक्षामित्रों ने गलती से आवेदन में गड़बड़ियां की है और वे परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, ऐसे लोगों को प्रवेशपत्र निर्गत किया जाए।

छह जनवरी 2019 की परीक्षा से चंद दिन पहले उन्हें प्रवेशपत्र निर्गत हुआ और उन्होंने 109 अंक अर्जित करके परीक्षा शानदार तरीके से उत्तीर्ण की है। बेहतर गुणांक होने पर जिला आवंटन की चयनित सूची में 409वीं रैंक अर्जित की है और गृह जिला जौनपुर में काउंसिलिंग कराने की बारी आई तो कोर्ट से रोक लग गई है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि कृष्ण कुमार के चयन में कोई विसंगति नहीं है, यह जरूर है कि उनका पहले आवेदन निरस्त हुआ था।

मांगा जौनपुर और मिला बलिया

प्रदेश के जौनपुर जिले में ही जिला आवंटन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वहां की मीनू यादव का ओबीसी वर्ग में गुणांक 70.34 है। उन्होंने पहली वरीयता में गृह जिला जौनपुर ही मांगा था लेकिन, उन्हें बलिया आवंटित किया गया है। उनका आरोप है कि उनसे कम गुणांक वालों को जौनपुर जिला दिया गया है।


 प्रतियोगी परीक्षा में सवाल और जवाब का मानक बदलने से बड़ा बदलाव हो सकता है। 68,500 भर्ती की लिखित परीक्षा इसका प्रमाण है इसके पुनमरूल्यांकन में गलतियों को नजरंदाज किया गया, लिहाजा सफल होने वालों की तादाद सैकड़ों से बढ़कर 46,88 तक पहुंच गई थी। हैरत यह है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक पद पर ऐसे अभ्यर्थियों को अंक बांट दिए गए, जो अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के जवाब सलीके से नहीं लिख सके। उसमें व्याकरण सहित अन्य तमाम दोष थे। सभी नियुक्ति पा चुके हैं और अब भी कई नियुक्ति पाने की कतार में हैं।

पिछली भर्ती जैसे हालात अब 69000 शिक्षक चयन में भी है। यह परीक्षा ओएमआर बेस्ड थी, इसलिए उसकी कॉपी का मूल्यांकन संभव नहीं है, सिर्फ प्रश्नों के जवाब बदल जाने से उत्तीर्ण होने वालों की संख्या में उलटफेर हो जाएगा।

ज्ञात हो कि हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने परीक्षा में पूछे गए 150 सवालों में से 142 का जवाब तय करने का आदेश दिया है। इसकी जांच यूजीसी से कराने से निर्देश हैं। यूजीसी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी और तब फैसला सुनाया जाएगा।



इन नियमों से हुआ था दोबारा मूल्यांकन

’कुछ प्रश्नों का मूल्यांकन नहीं हुआ है, उनका मूल्यांकन हो’ जिन सही उत्तरों पर अंक नहीं दिए गए हैं, उन पर अंक दिए जाएं’कटिंग के आधार पर पहले अंक नहीं दिए गए, उत्तर सही हो तो अंक दें’ उत्तर में यूनिट, रुपये या किलोमीटर का उल्लेख नहीं होने के कारण अंक नहीं दिया गया है, इसके बावजूद यदि उत्तर सही प्रतीत होता है तो अंक दिए जाएं’ ओवर राइटिंग पर नहीं दिए गए हैं यदि उत्तर सही है तो उसमें भी अंक दें’एक से अधिक उत्तर विकल्प सही होने के विकल्प उत्तरकुंजी में हैं उनको सही मानकर अंक दिए जाएं’अंकों का योग गलत होने पर उसे सही किया जाए। ’अन्य कारण से यदि अंक दिया जा रहा है तो उसका उल्लेख किया जाए।

परीक्षा संस्था का कहना है कि शासन के आदेश पर 11 से 18 अक्टूबर तक दोबारा मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। मूल्यांकन कैसे करना है इस संबंध में 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने आदेश दिया था। उसी का अनुपालन किया गया। उत्तीर्ण होने वालों को नियुक्ति मिल चुकी है, करीब 23 अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी बाकी है।





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