69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रश्नो के जवाब बदले तो भर्ती में बड़ा उलटफेर तय , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रश्नो के जवाब बदले तो भर्ती में बड़ा उलटफेर तय , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 





परिषदीय स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती जिस मुकाम पर है, उसमें लिखित परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के जवाब बदले तो बड़ा उलटफेर होना तय है। इसका अंदाजा सिर्फ इसी से लगाइए कि परीक्षा संस्था ने इसी भर्ती में तीन सवालों में कामन अंक बांटे थे, इससे परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों की तादाद 14 हजार बढ़ गई थी। इस समय तो इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ में कुल 18 सवाल कसौटी पर हैं। उत्तर बदलने से हजारों अभ्यर्थी परीक्षा उत्तीर्ण कर जाएंगे और जिला आवंटन सूची में फिर से बदलाव होगा, चयनित हो चुके बाहर हो जाएंगे और चयन की राह देख रहे चयनित होंगे।
भर्ती की लिखित परीक्षा में पूछे गए 150 सवालों में से 142 प्रश्नों पर अभ्यर्थी आपत्ति जता चुके हैं, केवल आठ प्रश्नों को बख्शा था। एक तरह से पूरी परीक्षा को ही कटघरे में खड़ा किया जा चुका है। भर्ती संस्था के विषय विशेषज्ञों ने सभी आपत्तियों को खारिज किया, केवल तीन प्रश्नों को पाठ्यक्रम से बाहर का मानकर कामन अंक दिए गए थे। जो अभ्यर्थी भर्ती में चंद अंकों से अनुत्तीर्ण हैं या कुछ अंकों से चयनित नहीं हो रहे, वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 और लखनऊ खंडपीठ में 13 प्रश्नों के जवाब बदलना चाहते हैं। इसमें पांच प्रश्न ही अलग हैं।
सीएम की पीठ प्रवर्तक पर सवाल? : भर्ती की लिखित परीक्षा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाथपंथ संप्रदाय के प्रवर्तक पर भी प्रश्न पूछा गया था। परीक्षा संस्था ने मत्स्येंद्रनाथ को नाथपंथ का प्रवर्तक माना, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति की किताब का उल्लेख करके कहा गया है कि मत्येंद्रनाथ गोरखनाथ के गुरु थे और उन्होंने ही नाथपंथ की शुरुआत की, वहीं अभ्यर्थी गोरखनाथ को नाथपंथ का प्रवर्तक बता रहे हैं। विशेषज्ञ की राय अंतिम : शीर्ष कोर्ट : प्रश्नों के उत्तर विवाद में सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन दे चुका है कि विशेषज्ञ की राय अंतिम होगी। यदि संदेह है तो इसका लाभ परीक्षा प्राधिकारी को मिलेगा। 11 दिसंबर 2017 को शीर्ष कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व 14 जून 2018 को न्यायमूर्ति यूयू ललित व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने अलग-अलग भर्ती मामलों में प्रश्नों के विवाद पर कहा है कि कोर्ट मूल्यांकन नहीं कर सकती। अपवाद के रूप में मूल्यांकन के लिए विचार करने का आदेश दे सकती है। दो किताबों में मतभिन्नता है तो कोर्ट अपनी राय नहीं देगी, विशेषज्ञ की राय मान्य होगी।



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