उपराष्ट्रपति ने क्षेत्रीय शिक्षा व मातृभाषा को बढ़ावा देने पर दिया जोर
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने क्षेत्रीय शिक्षा और
मातृभाषा को बढ़ावा देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि बोलचाल में
हमें मातृभाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। मातृभाषा से संस्कृति और संस्कार का
बोध होता है, जो उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी है। घर में बच्चों के साथ भी
मातृभाषा में ही संवाद करें।
उपराष्ट्रपति
रविवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शताब्दी समारोह को संबोधित कर
रहे थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में शुरुआती शिक्षा का प्रविधान
मातृभाषा में किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत की वैश्विक साख की
चर्चा करते हुए उन्होंने नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला आदि
विश्वविद्यालयों के उदाहरण दिए। कहा कि हमें विश्व गुरु बनना है, लेकिन
किसी पर कब्जा करना हमारा उद्देश्य नहीं। विश्वविद्यालय केवल शिक्षा के
केंद्र न बनकर उत्कृष्टता का केंद्र बनें। हमें दुनिया के सवरेत्तम 10
संस्थानों में शुमार होना है। उन्होंने कहा कि वैसे तो भारत में किसी
सुविधा की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी जो देश से बाहर जाना चाहते हैं, वे
जाएं। वहां सीखें और वापस आकर भारत में शोध को बढ़ावा दें। शोध का लक्ष्य
रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म होना चाहिए, ताकि लोगों का जीवन सुविधाजनक
और खुशहाल बन सके। यही शिक्षा का उद्देश्य भी होना चाहिए। उन्होंने डीयू
से शोध को बढ़ावा देने के साथ अपनी वैश्विक रैंकिंग को और बेहतर बनाने के
लिए कहा।
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