इलाहाबाद विश्वविद्यालय : डबल पीजी करने को पहले में ग्रेड-9 जरूरी

 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय : डबल पीजी करने को पहले में ग्रेड-9 जरूरी

 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शैक्षिक सत्र 2022-23 में दूसरे विषय से परास्नातक करने की राह आसान नहीं होगी। इस बार दूसरे विषय से परास्नातक में दाखिले की प्रक्रिया में अहम बदलाव करने की तैयारी है। अब छात्रों को दूसरे विषय से परास्नातक करने के लिए पहले कर चुके परास्नातक विषय में ग्रेड-9 पाना अनिवार्य होगा। 

 

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ग्रेड-9 के लिए 70 फीसदी से ज्यादा अंक होना चाहिए। जबकि इससे पूर्व दूसरे विषय से परास्नातक करने के लिए छात्रों को परास्नातक कर चुके विषय में 60 फीसदी अंक की अनिवार्यता होती थी।

पीजी प्रवेश के चेयरमैन प्रो. पीके घोष ने बताया कि एक विषय से परास्नातक कर चुके छात्र यदि दूसरे विषय से परास्नातक में दाखिला लेना चाहते हैं तो उन्हें पहले परास्नातक में ग्रेड-9 होना अनिवार्य है।

ग्रेड-9 को अंक में परिवर्तित करने पर 70 फीसदी से ज्यादा अंक होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे विषय से परास्नातक करने के लिए छात्र को कारण स्पष्ट करना होगा। अगर वह किसी संस्था में कार्ररत है तो उसे नियोक्ता प्रमाणपत्र भी देना होगा। उन्होंने बताया कि एजेंसी का चयन हो गया है। जल्द ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 

 

 

 

विदित हो कि इस बार स्नातक में प्रवेश के लिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है, जबकि परास्नातक प्रवेश के लिए इविवि प्रशासन अपने स्तर से प्रवेश परीक्षा आयोजित कराएगा।

इविवि एवं कॉलेजों में पीजी के साथ एलएलबी, एलएलएम, बीएड, एमएड, एमबीए, आईपीएस के पाठ्यक्रमों भी प्रवेश के लिए अपने स्तर से परीक्षा कराएगा। अलगे सप्ताह से आवेदन शुरू होने की उम्मीद है। जुलाई के तीसरे सप्ताह से प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

प्रयागराज। उच्च शिक्षा अनुभाग-4 की ओर से दो राज्य विश्वविद्यालयों को अलग-अलग मुद्दों पर शोध के लिए बजट दिया गया है। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) और उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के एक-एक शिक्षक को रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना से अनुदान प्रदान किया गया है। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ. आनंदा नंद त्रिपाठी बुंदेलखंड में महिलाओं की राजनीति पर रिसर्च करेंगे। इसके लिए उन्हें 2,10,100 रुपये की ग्रांट स्वीकृत की गई है। वहीं, प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) विवि के डॉ. मनमोहन तिवारी संस्कृत साहित्य में नाट्य परंपरा विमर्श पर शोध करेंगे। उन्हें 1.38 लाख अनुदान मिला है। 

 

 

 

 

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