उच्च शिक्षा आयोग का गठन साल के अंत तक, नए अधिकार मिलेंगे
देश में उच्च शिक्षा आयोग का प्रस्ताव जल्द मूर्त रूप ले सकता है।
आयोग पर काम कर रहे नियामक संस्थानों ने काफी हद तक काम पूरा कर लिया है।
साथ ही अन्य सुधार भी इस वर्ष के अंत तक पूरे हो जाएंगे। अधिकारियों ने
बताया कि नए प्रस्तावित आयोग का मसौदा तैयार कर लिया गया है। इस साल के अंत
तक इसके गठन की भी तैयारी है।
अखिल
भारतीय शिक्षा समागम के बाद शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा से जुड़े सभी
अटके प्रस्तावों को लेकर तेजी दिखाई है। इनमें सबसे अहम भारतीय उच्च शिक्षा
आयोग का गठन है जो मौजूदा नियामक संस्थानों की जगह लेगा। केंद्रीय शिक्षा
मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी प्रस्तावों को जल्द पूरा करने को कहा है
ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप पर आगे बढ़ने में मदद मिले। उच्च
शिक्षा से जुड़े बदलावों में डिजिटल यूनिवर्सिटी का गठन और नेशनल रिसर्च
फाउंडेशन (एनआरएफ) के गठन एवं देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस
खोलने के भी प्रस्ताव शामिल हैं।
पहली बार 2018
में भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम का
निरसन) विधेयक पर आगे बढ़ने की मुहिम शुरू हुई थी। उस समय एचईसीआई मसौदा
बिल को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अधिकारियों के मुताबिक, एचईसीआई को
लेकर नए सिरे से प्रयास शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आने के बाद तेज
हुए हैं। नया आयोग बनने के बाद शिक्षा जगत में आमूल परिवर्तन की संभावना
जताई जा रही है।
काम का मौका
आयोग
को संस्थानों द्वारा शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन, संस्थानों के
परामर्श, शिक्षकों के प्रशिक्षण, शैक्षिक प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा
देने आदि पर विशेष ध्यान देने के साथ शैक्षणिक मानकों में सुधार करने का
काम सौंपा जाएगा।
नए अधिकार मिलेंगे
संस्थानों
को खोलने और बंद करने के लिए मानक, संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान
करने के साथ, किसी भी कानून (राज्य कानून सहित) के तहत शुरू किए गए
विश्वविद्यालय के बावजूद संस्थागत स्तर पर महत्वपूर्ण नेतृत्व पदों पर
नियुक्तियों के लिए मानक निर्धारित किए जाएंगे।
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