CCSU : तीन-तीन पेपर में छात्रों को दिए जीरो नंबर, मूल्यांकन में खोट पर अखाड़ा बना कैंपस
चार दिनों से छात्र-छात्राओं की शिकायत दरकिनार करने और कोई ठोस कार्रवाई न होने पर सोमवार को चौधरी चरण सिंह विवि कैंपस अखाड़ा बन गया। बीएससी द्वितीय वर्ष में तीन-तीन विषयों में जीरो नंबर मिलने पर सैकड़ों विद्यार्थी परिजनों सहित कैंपस पहुंच गए। विवि अधिकारी मूल्यांकन में खोट स्वीकारने के उलट छात्र-छात्राओं पर सवाल उठाते रहे। मामला बढ़ता रहा और भूखे-प्यासे विद्यार्थी सुबह दस से शाम पांच बजे तक कुलपति दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे रहे। चार बार विश्वविद्यालय अधिकारियों ने छात्र-छात्राओं से बात की, लेकिन लिखित आश्वासन शाम पांच बजे मिला। विश्वविद्यालय ने बीएससी द्वितीय वर्ष में फेल समस्त विद्यार्थियों का रिजल्ट वेबसाइट से हटाने और उनकी कॉपियों का निशुल्क पुनर्मूल्यांकन कराने की घोषणा की।
बेटी इंटर में टॉपर, गणित में जीरो नंबर
धरने पर बैठे विद्यार्थियों के दावे विवि स्वीकारने को तैयार नहीं था।
चरथावल से ऋतु अपने पिता के साथ पहुंची। पिता सूरजमल के अनुसार ऋतु अपने
कॉलेज की इंटर में टॉपर रही है। उन्होंने बताया कि बेटी को कैंपस लाने के
लिए हरिद्वार से गांव पहुंचे और फिर मेरठ। छात्रा को विवि ने तीन विषयों
में शून्य अंक दिए हैं। गणित जैसे विषय में भी जीरो नंबर मिले हैं। नोएडा
के एक गांव से एक छात्रा अपनी मम्मी के साथ दो हजार रुपये उधार लेकर कैंपस
पहुंची।
अधिकांश को पिछले साल भी शून्य नंबर, इस बार फिर वही
कैंपस पहुंचे विद्यार्थियों में से अधिकांश को पिछले साल भी शून्य मिला था।
छात्रों के अनुसार उन्होंने इस साल दुबारा पेपर दिए और फिर से जीरो नंबर
मिला। छात्रों के अनुसार चुनौती मूल्यांकन की फीस तीन हजार रुपये प्रति
पेपर है। तीन पेपर के लिए वे नौ हजार रुपये कहां से लाएं।
मूल्यांकन सिस्टम में खामी, केंद्रों पर खेल
तीन-तीन पेपर में शून्य नंबर मिलने के पीछे की मूल वजह मूल्यांकन केंद्र
हैं। अधिकांश मूल्यांकन केंद्रों पर समन्वयकों ने जाति के आधार पर अपने खास
लोगों को कंट्रोलिंग टीम में लगाया है। ये लोग अपने चहेतों को केंद्रों पर
बुला रहे हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्रों पर अधिकांश शिक्षक सेल्फ
फाइनेंस कॉलेजों से हैं। इनमें से अनेक शिक्षक ऐसे हैं जिनका कॉलेज में
केवल फाइलों में अनुमोदन है। वे कभी क्लास नहीं लेते। पढ़ाई से इनका कोई
मतलब नहीं है। बावजूद इसके ऐसे शिक्षकों ने मानकों से चार गुना तक कॉपियां
चेक कर डाली। नियमानुसार शिक्षक को प्रतिदिन सौ से अधिक कॉपी नहीं मिलनी
चाहिए, लेकिन केंद्रों की स्थिति उलट है। बीते एक वर्ष में शिक्षकों को हुए
भुगतान से इसकी पुष्टि हो सकती है। मूल्यांकन में दोषी एक भी शिक्षक पर आज
तक विवि ने कार्रवाई नहीं की है।
चुनौती मूल्यांकन में 15 से 60 नंबर, बाकी में फेल
विवि में मूल्यांकन से लेकर चुनौती मूल्यांकन तक घेरे में है। चुनौती
मूल्यांकन में मेडिकल छात्रों के चार गुना तक नंबर बढ़ रहे हैं जबकि
मूल्यांकन में छात्र फेल हो रहे हैं। दुखद यह है कि निचले अधिकारी कुलपति
को वास्तविक स्थिति के बजाय गलत रिपोर्ट कर रहे हैं। कुलपति के आसपास जो
लोग हैं वे भी गलत फीडबैक दे रहे हैं। सोमवार को जिस निर्णय को विवि ने शाम
पांच बजे लिया वह दो दिन पहले भी हो सकता था, लेकिन दिनभर गलत फीडबैक से
कैंपस में छह घंटे हंगामा चला।
इनका रहा नेतृत्व
विभिन्न कॉलेजों से छात्र-छात्रा पैदल मार्च करते हुए विजित बालियान के
नेतृत्व में कैंपस पहुंचे। आदित्य पंवार, आदेश प्रधान, रोहित राणा, हर्ष
चहल, अभिषेक खजूरी, शेरा जाट, आकाश मोतला, हर्ष ढाका, प्रशांत भराला सहित
अनेक छात्र प्रतिनिधि रहे।
डॉ.अश्विनी शर्मा (परीक्षा नियंत्रक, सीसीएसयू) ने कहा, 'बीएससी द्वितीय वर्ष में फेल विद्यार्थियों की कॉपियों का फिर मूल्यांकन होगा। बीए फाइनल एवं बीएससी द्वितीय वर्ष के फेल छात्रों का परिणाम वेबसाइट से हटाया जा रहा है। बीए फाइनल के छात्रों की कॉपियों की रैंडम सैंपलिंग होगी।’
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