हमारे लिए कोई भी मुकदमा छोटा या बड़ा नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसके लिए कोई मामला छोटा या बड़ा
नहीं है, यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला होगा तो वह जरूर हस्तक्षेप
करेगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर हम व्यक्तिगत
स्वतंत्रता के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते तो हम
यहां क्या कर रहे हैं।
मुख्य
न्यायाधीश की यह टिप्पणी कानून मंत्री किरेन रिजिजू के गुरुवार को संसद
में दिए गए उस बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को
जमानत याचिकाओं और गैर-जरूरी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए,
बल्कि संवैधानिक मसलों की सुनवाई करनी चाहिए।
पीठ
एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें व्यक्ति को बिजली चोरी के लिए 18 साल
की सजा काटने का आदेश दिया गया था। पीठ ने कहा, अपीलकर्ता पहले ही सात साल
की सजा काट चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यह आदेश देने से इनकार करने
के बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसकी सजा एकसाथ
चलनी चाहिए। पीठ ने कहा, यदि हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में
हस्तक्षेप नहीं करते हैं और हम इस व्यक्ति की रिहाई का आदेश नहीं देते हैं
तो हम यहां किसलिए हैं।
‘शीतकालीन अवकाश में पीठ उपलब्ध नहीं होगी’
नई
दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि
शीतकालीन अवकाश के दौरान यानी 17 दिसंबर से एक जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट की
कोई पीठ उपलब्ध नहीं होगी। केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार
को राज्यसभा में कहा था कि लोगों को लगता है कि अदालत की लंबी छुट्टियां
फरियादियों के लिए सुविधाजनक नहीं है। इस बयान के मद्देनजर सीजेआई की यह
घोषणा महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अदालत कक्ष में मौजूदा
वकीलों से कहा कि शनिवार से एक जनवरी तक कोई पीठ उपलब्ध नहीं होगी।
पीठ
ने मामले में वरिष्ठ वकील एस नगामुथु की मदद मांगी। नगामुथु ने हाईकोर्ट
के आदेश को गलत बताते हुए कहा, इससे यह आजीवन कारावास बन जाएगा।
पीठ
ने आदेश में कहा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनमोल है। ऐसी शिकायतों
पर ध्यान देने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना कर्तव्य निभाता है। यह कहते हुए
कोर्ट ने दोषी इकराम की सजाओं को एक साथ चलाने का आदेश दे दिया।
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