सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023 : 23 जनवरी पराक्रम दिवस पर जानें नेताजी के बारे में ये 10 खास बातें
Parakram Diwas 2023, Subhash Chandra Bose Jayanti: तुम मुझे खून दो, मैं
तुम्हें आजादी दूंगा....! जय हिन्द! दिल्ली चलो, जैस करिश्माई नारों से देश
की आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 23
जनवरी को 127वीं जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान
स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा
लेता है। देश के स्वाधीनता आंदोलन के नायकों में से एक नेताजी की जीवनी,
उनके विचार और उनका कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है।
भारत सरकार नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मना रही है। यहां
जानें उनके जीवन से जुड़ी 10 खास बातें -
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन
के कटक में हुआ था। बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम
प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ
बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष
चंद्र उनकी 9वीं संतान और 5वें बेटे थे।
2. नेताजी की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई।
इसके बाद उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज
से हुई। इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा ( इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी
के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज
दिया।
3. 1920 में उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा पास की लेकिन
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने जॉब छोड़ दी थी।
सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वह देश के अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने
के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। जलियांवाला बाग
हत्याकांड की घटना से वह काफी विचलित थे।
4. कांग्रेस में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, तो वहीं सुभाष
चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। इसलिए नेताजी गांधी जी के
विचार से सहमत नहीं थे। हालांकि, दोनों का मकसद सिर्फ और सिर्फ एक था कि
भारत को आजाद कराया जाए । नेताजी का ऐसा मानना था कि अंग्रेजों को भारत से
खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है, तो वहीं गांधी अहिंसक आंदोलन
में विश्वास करते हैं।
5. साल 1938 में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित
किए गए, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। 1939 के
कांग्रेस अधिवेशन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के समर्थन से
खड़े पट्टाभी सीतारमैया को हराकर विजय प्राप्त की। इस पर गांधी और बोस के
बीच अनबन बढ़ गई, जिसके बाद नेताजी ने खुद ही कांग्रेस को छोड़ दिया।
6. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने साल 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन
युवती एमिली से शादी की। दोनों की एक बेटी अनीता हुई, और वर्तमान में वो
जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।
7. अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को
'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। इसके
बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार)
पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी
दूंगा।'
8. 1921 से 1941 के दौरान वो पूर्ण स्वराज के लिए कई बार जेल भी गए थे।
उनका मानना था कि अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता नहीं पाई जा सकती। दूसरे विश्व
युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की
यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा।
9. सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन जर्मनी में शुरू किया और
पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र
बोस मानते थे कि भगवत गीता उनके लिए प्रेरणा का मुख्य जरिया थी ।
10. तीन जांच आयोग, मगर नहीं सुलझी गुत्थी
18 अगस्त, 1945 को ताइपेई में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता
हो गए थे। घटना को लेकर तीन जांच आयोग बैठे, जिसमें से दो जांच आयोगों ने
दावा किया कि दुर्घटना के बाद नेताजी की मृत्यु हो गई थी। जबकि न्यायमूर्ति
एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जांच आयोग का दावा था कि घटना के
बाद नेताजी जीवित थे। इस विवाद ने बोस के परिवार के सदस्यों के बीच भी
विभाजन ला दिया था।
100 गोपनीय दस्तावेज अब सार्वजनिक
2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सौ गोपनीय फाइलों
का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया, ये दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार
में मौजूद हैं।
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