शिक्षामित्र 60 वर्ष में होंगे सेवानिवृत्त :- शासन ने तय की अधिकतम आयु सीमा, पूर्व की भांति हर साल होगा नवीनीकरण
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों
के संविदा पर काम करने की अधिकतम आयु सीमा तय कर दी है। शिक्षामित्र
अधिकतम 60 साल पर सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि पूर्व की तरह उनका हर साल
नवीनीकरण किया जाएगा।
प्रमुख
सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार के अनुसार शिक्षामित्रों की संविदा आधारित
सेवाएं उनकी 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के दिन को स्वतः समाप्त माने जाने
का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में शिक्षामित्र योजना क्रियान्वयन से
संबंधित पूर्व में जारी शासनादेशों को इस सीमा तक संशोधित समझा जाए।
1.46 लाख को लाभ
वर्ष
1999 में नियमित शिक्षकों की कमी को देखते हुए प्राथमिक स्कूलों में
संविदा पर शिक्षामित्रों की तैनाती की गई थी। इस समय इनकी संख्या 1.46 लाख
के करीब है।
धीरे-धीरे इनका मानदेय बढ़ाया गया और
2014 में ट्रेनिंग आदि के माध्यम से पहले बैच के शिक्षामित्रों को
समायोजित भी किया गया। हालांकि बाद में इनका समायोजन निरस्त कर दोबारा
मानदेय पर ही कार्य लिया जाने लगा।
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शिक्षामित्रों को 11 माह का मानदेय दिया जाता है और हर साल विभाग द्वारा
नवीनीकरण किया जाता है। वर्तमान में शिक्षामित्र 10 हजार रुपये प्रतिमाह
मानदेय पा रहे हैं।
नियमितीकरण की मांग पर 20 को सम्मेलन
शिक्षामित्रों
ने नियमितीकरण की मांग को लेकर 20 फरवरी को लखनऊ में महासम्मेलन का निर्णय
लिया है। इसमें शिक्षामित्र अपने परिजनों के साथ शामिल होंगे। सम्मेलन की
सफलता के लिए वे राज्य कर्मचारी संघ से भी संपर्क बनाए हुए हैं, ताकि उनकी
मांगों को मजबूती मिल सके।
राज्यकर्मियों को अस्थायी तैनाती की तिथि से मिले सेवा का लाभ : हाईकोर्ट
लखनऊ।
सरकारी कर्मचारियों का गैर नियमित सेवाकाल भी पेंशन व सेवानिवृत्ति से
जुड़े लाभ में जोड़ा जाना चाहिए। सेवानिवृत्ति से जुड़े सभी लाभ अस्थायी
नियुक्ति की तिथि से मिलने चाहिए। यह आदेश हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने दिया
है। हालांकि आदेश में याचिकर्ताओं को सिर्फ पिछले तीन साल की पेंशन के
फायदे का हकदार घोषित किया गया है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने
51 याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने उप्र पेंशन हेतु
अहंकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण अधिनियम 2021 की धारा 2 की सुप्रीम कोर्ट
द्वारा 2019 में प्रेम सिंह के केस में दिए गए निर्णय की व्याख्या करते हुए
यह आदेश दिया। याचियों की तरफ से सरकार के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी,
जिनमें पेंशन प्रदान करने के लिए निर्णय लेते समय गैर नियमित सेवाकाल को
उनकी कुल सेवा में न जोड़ते हुए उसे पेंशन लाभ योग्य मानने से इनकार कर
दिया गया था। व्यूरो
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