एक महीने की मोहलत,सुधरें या कुर्सी छोड़ें अफसर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को जिलों में तैनात अधिकारियों को
कड़ी चेतावनी देते हुए उन्हें सुधरने के लिए एक महीने का वक्त दिया है।
मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कह दिया है कि या तो जिलों में तैनात अधिकारी अपनी
कार्यप्रणाली सुधार लें या कार्यमुक्त होने के लिए तैयार रहें।
मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने जिलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए करीब दो माह पहले
लाल बहादुर शास्त्रत्त्ी भवन (एनेक्सी) में सीएम कमांड सेंटर एवं डैशबोर्ड
का उद्धाटन किया था। सीएम ने कहा था कि इसी के आधार पर जिलों में तैनात
अधिकारियों के काम की समीक्षा होगी।
प्रदेश में
2947 राजस्व न्यायालय हैं, जिनमें पिछले छह वर्षों में 195.3 लाख वाद दाखिल
हुए। इनमें 174.7 लाख वादों को निस्तारण किया गया, जिसका प्रतिशत 89.5
प्रतिशत है। सीएम योगी ने समीक्षा बैठक में खराब प्रदर्शन करने वाले
जिलाधिकारियों को फटकार लगाते हुए इसमें सुधार करने के निर्देश दिए हैं।
पैमाइश के मामलों के निपटारे में टॉप पांच में संतकबीरनगर, कासगंज,
महराजगंज, हापुड़ और बलरामपुर हैं जबकि बॉटम पांच में गौतमबुद्धनगर, बलिया,
आजमगढ़, एटा और लखनऊ हैं। इन मामलों को उपजिलाधिकारी स्तर पर 90 दिनों में
निपटाने का प्राविधान है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को जिलों में तैनात अधिकारियों को
कड़ी चेतावनी देते हुए उन्हें सुधरने के लिए एक महीने का वक्त दिया है।
मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कह दिया है कि या तो जिलों में तैनात अधिकारी अपनी
कार्यप्रणाली सुधार लें या कार्यमुक्त होने के लिए तैयार रहें।
मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने जिलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए करीब दो माह पहले
लाल बहादुर शास्त्रत्त्ी भवन (एनेक्सी) में सीएम कमांड सेंटर एवं डैशबोर्ड
का उद्धाटन किया था। सीएम ने कहा था कि इसी के आधार पर जिलों में तैनात
अधिकारियों के काम की समीक्षा होगी।
प्रदेश में
2947 राजस्व न्यायालय हैं, जिनमें पिछले छह वर्षों में 195.3 लाख वाद दाखिल
हुए। इनमें 174.7 लाख वादों को निस्तारण किया गया, जिसका प्रतिशत 89.5
प्रतिशत है। सीएम योगी ने समीक्षा बैठक में खराब प्रदर्शन करने वाले
जिलाधिकारियों को फटकार लगाते हुए इसमें सुधार करने के निर्देश दिए हैं।
पैमाइश के मामलों के निपटारे में टॉप पांच में संतकबीरनगर, कासगंज,
महराजगंज, हापुड़ और बलरामपुर हैं जबकि बॉटम पांच में गौतमबुद्धनगर, बलिया,
आजमगढ़, एटा और लखनऊ हैं। इन मामलों को उपजिलाधिकारी स्तर पर 90 दिनों में
निपटाने का प्राविधान है।
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