एपीएस भर्तीः 2013 में चयन, 2021 में नियुक्ति रद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब दी राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव (एपीएस) पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। चयन सूची और नियुक्ति विज्ञापन रद्द करने के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने आयोग को यह निर्देश भी दिया है कि तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही नियुक्तियों के लिए आवश्यक संस्तुति करे। चयनित अभ्यर्थियों की ओर से लोक सेवा आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
याचियों का कहना था कि लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। याचियों ने इस विज्ञापन के तहत आवेदन किया और चयन प्रक्रिया में भाग लिया। वे लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में सफल हो गए। इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर उपरोक्त चयन रद्द कर दिया।
याचियों का कहना था कि चयन प्रक्रिया में सात से आठ साल का समय लगा। उसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन रद्द कर दिया कि यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है।
विज्ञापन के अनुसार अभ्यर्थियों को टाइप टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट टाइप करने थे। इसमें पांच प्रतिशत तक गलतियों की छूट थी लेकिन इस विज्ञापन में पांच प्रतिशत के अलावा तीन प्रतिशत और गलतियां माफ करने का प्रावधान था। इस प्रकार कुल आठ प्रतिशत तक गलतियों से छूट दी गई थी। इस पर राज्य सरकार ने 10 जून 2019 को एक आदेश जारी कर आयोग को नियमावली के अनुसार चयन प्रक्रिया करने का निर्देश दिया था।
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