दिवाली से ठीक पहले 2090 शिक्षकों के जीवन में छाया अंधेरा , शिक्षामित्रों से बदतर हुआ तदर्थ शिक्षकों का हाल

दिवाली से ठीक पहले 2090 शिक्षकों के जीवन में छाया अंधेरा , शिक्षामित्रों से बदतर हुआ तदर्थ शिक्षकों का हाल 




सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से नियुक्त 2090 तदर्थ शिक्षकों की स्थिति शिक्षामित्रों से भी बदतर हो गई है। प्रदेश के 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन 19 जून 2014 से शुरू हुआ और 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इनका समायोजन निरस्त कर दिया। साफ है कि शिक्षामित्रों को तो तीन साल बाद ही हटा दिया गया जबकि तदर्थ शिक्षकों को 30 साल बाद झटका लगा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि तदर्थ शिक्षक चयन की समस्त न्यूनतम योग्यता पूर्ण करने के बावजूद बाहर किए जा रहे हैं जबकि शिक्षामित्रों को टीईटी पास नहीं करने के कारण बाहर किया गया था। वर्तमान में सहायक अध्यापकों को न्यूनतम 70 हजार और प्रवक्ता को 1.35 लाख रुपये तक वेतन मिल रहा था। अब जबकि सरकार ने इनकी सेवाएं समाप्त कर दी है तो तकरीबन तीन दशक तक पढ़ाने के बाद सभी का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। 

तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने की तैयारीः तदर्थ शिक्षकों को मानदेय पर रखने की तैयारी है। वर्तमान में कार्यरत 1774 सहायक अध्यापकों को प्रति माह 25 हजार रुपये जबकि 316 प्रवक्ता को 30 हजार मानदेय देने की बात चल रही है। इस प्रकार सहायक अध्यापकों पर प्रति माह 4.43 करोड़ और प्रवक्ता 94.80 लाख रुपये खर्च आएगा। खास बात यह है कि मानदेय उन्हीं को मिलेगा जो पूर्व में वेतन पा रहे थे। 


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