परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में प्रशिक्षु 72825 शिक्षक भर्ती में दिसंबर 2012 को दोबारा आवेदन करने वाले बेरोजगारों के 290 करोड़ रुपये तीन महीने में वापस मिलेंगे। निर्भय सिंह समेत 50 अन्य की याचिका में सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने तीन महीने में पूरी फीस करने का हलफनामा हाईकोर्ट में दाखिल किया है। कोर्ट ने 31 अक्तूबर के अपने आदेश में तीन महीने में फीस वापसी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
बसपा सरकार में 13 नवंबर 2011 को उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित टीईटी की मेरिट पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ था। हालांकि परीक्षा में धांधली के आरोप लगने के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आई समाजवादी पार्टी ने दिसंबर 2012 में एकेडमिक मेरिट के आधार पर नए सिरे से 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। दोबारा शुरू हुई भर्ती में अभ्यर्थियों ने प्रत्येक जिले में आवेदन के लिए 500-500 रुपये फीस के रूप में दिए थे। कई अभ्यर्थियों ने सभी 75 जिलों से फॉर्म भरा जिसके एवज में 40 हजार रुपये तक खर्च करने पड़े। जबकि अधिकांश अभ्यर्थियों ने 25 से 30 हजार रुपये फीस दी थी। फीस के रूप में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के खाते में 2,89,98,54,400 रुपये जमा हुए थे।
शिक्षक भर्ती में फीस के रूप में मिले थे 290 करोड़ , अब तक सात-आठ करोड़ हुए वापस
1 कोर्ट ने 31 अक्तूबर को दिया आदेश
26 जुलाई के हाईकोर्ट के आदेश के बाद से अब तक बेरोजगारों को सात से आठ करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश ऐसे अभ्यर्थी हैं। जिन्होंने कोर्ट में याचिका की है।
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