शासन ने पेंशन घोटाले की जांच का दिया आदेश, शिक्षकों के एनपीएस खाते से करोड़ों की रकम से हेरफेर का मामला
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों के पेंशन अंशदान के 80 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बिना उनकी सहमति के निजी कंपनियों के खाते में निवेशित करने को लेकर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। आपके अपने समाचारपत्र ‘हिन्दुस्तान’ ने 24 अक्तूबर के अंक में इस घोटाले का ‘निजी कंपनी में शिक्षकों की पेंशन की रकम लगाई’ शीर्षक से इस घोटाले का खुलासा किया था। इसका संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव को जांच का आदेश दिया है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शुक्रवार को मंडलीय उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) आरएन विश्वकर्मा और डीआईओएस कार्यालय की वित्त एवं लेखाधिकारी से जांच करते हुए निजी कंपनियों में धनराशि निवेशित करने के दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए जांच आख्या सात नवंबर तक उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। साथ ही सुनिश्चित करने को कहा है कि संबंधित शिक्षक के वेतन से एनपीएस की कटौती को प्रतिमाह उनके प्रान खाते में निवेशित करने की सूचना भी सात नवंबर तक उपलब्ध कराएं। गौरतलब है कि ‘हिन्दुस्तान’ ने ‘शिक्षक मांगे हिसाब’ शृंखला के तहत डीआईओएस कार्यालय के स्तर पर बड़े पैमाने पर हुए इस घोटाले को उजागर किया जिसके बाद शासन स्तर पर मामला संज्ञान में लिया गया और जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में डीआईओएस कार्यालय का लिपिक आलोक गुप्ता पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
एक सप्ताह में मांगा हिसाब नहीं तो क्रमिक सत्याग्रह
शिक्षकों के एनपीएस खाते से करोड़ों की रकम से हेरफेर के मामले में माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट ने जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह से हिसाब मांगा है। संगठन के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने शुक्रवार को डीआईओएस को लिखे पत्र में पूछा है कि कितने शिक्षकों-कार्मिकों के एनपीएस फंड से कितनी राशि निजी कंपनियों में ट्रांसफर की गई। कितने शिक्षकों-कार्मिकों की राशि मूल खाते में ट्रांसफर हुई और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। इसके अलावा पूछा है कि 17 महीने से शिक्षकों-कर्मचारियों की एनपीएस कटौती प्रान खाते में क्यों ट्रांसफर नहीं हुई। कितने शिक्षक ऐसे हैं जिनकी आज तक कटौती शुरू नहीं हो सकी है और क्यों। लालमणि द्विवेदी ने चेतावनी है कि एक सप्ताह में सूचनाएं नहीं मिली तो उसके बाद क्रमिक सत्याग्रह करेंगे।
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