अगले साल की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हाईस्कूल, इण्टर के अलावा अन्य परीक्षाओं को ध्यान में रखकर ही करवाए जाएंगे। केन्द्रीय चुनाव आयोग ने प्रदेश सरकार से अगले साल जनवरी से लेकर मई के दरम्यान होने वाली परीक्षाओं का पूरा ब्योरा मांगा है। आमतौर पर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी-मार्च में हो जाती हैं।
ध्यान रहे, वर्ष 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव अप्रैल और मई के महीनों में करवाये गये थे। हालांकि इन महीनों में ग्रामीण इलाकों में गेहूं व अन्य फसलों की कटाई का समय होता है, किसान व्यस्त रहते हैं। मगर उम्मीद यही है कि इस बार के लोकसभा चुनाव भी अप्रैल और मई के महीनों में ही करवाए जाएंगे। आयोग ने दुर्गम इलाकों में पूरी चुनाव प्रक्रिया सुगमता से सम्पन्न करवाने की भी तैयारी की है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से उन मतदान केन्द्रों की भी जानकारी मांगी गयी है जहां पोलिंग पार्टी को मतदान करवाने के लिए नाव से जाना पड़ता है। नामांकन, मतदान, मतगणना की पूरी प्रक्रिया को बेहतर ढंग से सम्पन्न करवाने के लिए आयोग ने इस बार चुनाव ड्यूटी करने वाले कार्मिकों के प्रशिक्षण पर ज्यादा फोकस किया है। इस बाबत प्रशिक्षण की पांच थीम तय की गयी हैं। इनमें प्रत्याशी की पात्रता, अपात्रता, नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच, नामांकन वापसी, चुनाव चिन्ह आवंटन, जिले में चुनाव का पूरा प्लान, मतदान केन्द्रों की संवेदनशीलता, पोलिंग पार्टी और मतदान के दिन का पूरा इंतजाम, पोस्टल बैलेट, आदर्श चुनाव आचार संहिता का अनुपालन आदि बिन्दु शामिल किये गये हैं।
इन सभी बिन्दुओं पर विधानसभावार मास्टर ट्रेनर तैयार किये जाएंगे। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष शुक्ल ने प्रदेश के हर जिले से इस प्रशिक्षण के लिए जिला प्रशासन से एक अधिकारी नामित करते हुए उनका ब्यौरा मांगा है। यह मास्टर ट्रेनर बाद में अन्य चुनाव कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
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