UP PCS, SSC, समेत इन परीक्षाओं में फेल हुए थे ये शख्स, फिर ऐसे बने थे IAS अधिकारी, जानें- इनकी कहानी
Upsc Success Story: आईएएस अधिकारी बनना कई उम्मीदवारों का सपना होता है। इस सपने को साकार करने के लिए यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में शामिल होना होता है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में पास होने के लिए दिन रात पढ़ाई करते हैं। हालांकि कम ही ऐसे उम्मीदवार होते हैं जो इस परीक्षा में सफल हो जाते हैं। आज हम बात कर रहे हैं, IAS अधिकारी विजय वर्धन के बारे में, जो आईएएस परीक्षा में सफल होने से पहले कई बार असफल हुए हैं। आइए जानते हैं उनकी कहानी के बारे में।
-आईएएस अधिकारी विजय वर्धन उन लोगों में एक हैं, जो अपनी गलतियों और असफलताओं को एक हार के रूप में नहीं, बल्कि नई चीजें सीखने के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि गलतियां करना सफलता की सीढ़ी का एक हिस्सा है। गलतियों से आप सीखते हैं, जो आपको बेहतर इंसान और अनुभवी व्यक्ति बनाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय वर्धन सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में कई बार असफल हुए हैं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। बताया जाता है, सरकारी नौकरी के लिए 35 अलग-अलग परीक्षाओं में असफल होने के बाद आखिरकार उन्होंने UPSC 2018 की परीक्षा 104वीं रैंक के साथ पास की थी। यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद उन्हें IPS अधिकारी का पद मिला था। हालांकि वह खुश थे कि उन्होंने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा का पास कर लिया है, लेकिन उनके मन में अभी भी IAS अधिकारी बनने की चाह थी। जिसके बाद उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा देने के का फैसला किया था।
अपने मजबूत इरादों के साथ विजय ने यूपीएससी परीक्षा फिर से दी और 2021 में आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को साकार किया। बता दें, उन्होंने साल 2014 में यूपीएससी की पहली बार परीक्षा दी थी, लेकिन वो असफल रहे थे। आईएएस विजय वर्धन का कहना है, "मैंने यूपीएससी की परीक्षा अपनी गलतियों की वजह से पास की हैं और में ये मुकाम हासिल कर पाया हूं। मैंने हमेशा अपनी गलतियों से सीखा और हर असफलता के बाद कड़ी मेहनत की इन परीक्षाओं में असफल हो चुके हैं विजय IAS अधिकारी बनने से पहले विजय वर्धन कई सरकारी प्रतियोगी परीक्षा में असफल हो चुके हैं। उन्होंने हरियाणा PCS, UPPSC, SSC, और CGL, सहित 30 से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलताओं का सामना किया था। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी में लगातार सुधार करते रहे।
उनका मानना है कि, निराशा के आगे घुटने टेकने के बजाय, हर असफलता से सीखने की कोशिश करें। विजय की हर असफलता के साथ, उनके अधिकारी बनने का इरादा मजबूत होता रहा था और वह लगातार अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे थे।
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