UPPSC की इंटरव्यू वाली भर्तियों में आरक्षित वर्ग के साथ गड़बड़ी को लेकर सीएम को लिखा गया पत्र , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर
एनडीए की सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने प्रदेश में साक्षात्कार से होने वाली भर्तियों पर सवाल उठाए हैं। इस संबंध में उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि आरक्षित पदों पर संबंधित श्रेणी के अभ्यर्थियों को 'नॉट फाउंड सुटेबल' यानी पद के योग्य नहीं लिखकर पद को अनारक्षित घोषित किया जा रहा है । इस पत्र से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। है क्योंकि उनके सवाल आयोग की भर्ती प्रक्रिया से मेल ही नहीं खा रहे हैं।
अनुप्रिया ने सीएम को भेजे पत्र में कहा है कि ओबीसी व एससी-एसटी के अभ्यर्थियों ने उन्हें बताया है कि प्रदेश में साक्षात्कार से होने वाली भर्तियों में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों की अनदेखी हो रही है। पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति व जनजाति के अभ्यर्थियों को 'नॉट फाउंड सुटेबल घोषित कर चयन से वंचित किया जा रहा है। पत्र में उन्होंने आरक्षित पदों को अनारक्षित घोषित करने की भी बात कही है।
यह है नियमावली
उप्र लोक सेवा आयोग की नियमावली के मुताबिक साक्षात्कार से होने वाले चयन में 'नॉट फाउंड सुटेबल' अंकित न करके ग्रेडिंग के आधार पर चयन को अंतिम रूप दिया जाता है। साक्षात्कार परिषद के सदस्यों व प्राविधिक परामर्शदाताओं द्वारा दी गई ग्रेडिंग के आधार पर ही अंकपत्र तैयार किया जाता है। इस पर सदस्य और परामर्शदाताओं के हस्ताक्षर के बाद लिफाफा सील कर दिया जाता है।
कोडिंग आधारित है साक्षात्कार की प्रक्रिया
उप्र लोक सेवा आयोग की नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है कि साक्षात्कार आधारित भर्तियों के लिए द्विसदस्यीय साक्षात्कार परिषद होती है। यह प्रथम व द्वितीय सत्र के लिए अलग-अलग होती है। नियमावली के मुताबिक पूरी साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित होती है। इसमें अभ्यर्थियों के क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, श्रेणी और आयु को सेलोटेप से चिपकाकर ढक दिया जाता है। दो सदस्यीय साक्षात्कार परिषद के सामने व्यक्तिगत विवरण नहीं रखे जाते हैं।
■ आयोग की नियमावली के मुताबिक सामान्य, ओबीसी व ईडब्ल्यूएस के लिए न्यूनतम अर्हता अंक 40 फीसदी और एससी-एसटी के लिए 35 फीसदी हैं। रिक्त पदों के सापेक्ष यदि किसी श्रेणी में अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक नहीं पाते हैं तो इन रिक्तियों को आयोग के पास किसी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार ही नहीं है, बल्कि शासनादेश में बताई गई प्रक्रिया के अनुसार ऐसी रिक्तियों का निस्तारण किया जाता है।
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